vrischik lagna ki janam kundali ka rashi bhavishya
वृच्छिक लग्न के बारे में जानकारी
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| वृच्छिक लग्न की कुंडली |
वृच्छिक लग्न वाले जातकों को जीवन में अधिक संघर्ष करना पड़ता है । मंगल ग्रह वृचिक लग्न का स्वामी होता है । मंगल ग्रह पहले और छटे भाव का स्वामी होकर शुभ फल देने के लिए अनुकूल होता है ।
वृच्छिक लग्न के जातक शरीर से मजबूत होते है ।
वृच्छिक लग्न वाले जातक को आकर्षक जीवनसाथी मिलता है । वृच्छिक लग्न में शनि सुख सुविधा का कारक है इसलिए वह सम है ।
करियर या सरकारी काम में सफलता पाने के लिए इन जातकों को सुबह जल्दी उठकर सूर्य उपासना करनी चाहिए । वृच्छिक लग्न के जातक एक बार मे पुरे मन से पूर्ण रूप से सच्चा प्यार करते है । मगर उनको जलाने का प्रयास करने पर उनका प्यार उपेक्षा में बदल जाता है ।
संचार और वाणी से धन संचय और लाभ होता है । माता जीवन में भाग्यकारक होती है । पुलिस , अभियांत्रिकी ,सेना और खेल कूद में नाम कम सकते है ।
विष योग और वृश्चिक लग्न मे
शनि और चंद्र जब कुंडली मे एक ही भाव मे हो तो विष योग का निर्माण करते है | फल स्वरूप जातक का मन बैचैन रहता है | जातक दिन मे सपने देखता है |
पर वृश्चिक लग्न के कुंडली मे अगर शनि और चंद्र
एक हि भाव मे युती कर रहे हो तो विष योग नही होता है | चंद्र नवम भाव का
स्वामी होकार शनि के साथ जो चतुर्थ भाव का स्वामी है , एक ही भाव मे हो तो
राजयोग कारक धन योग बनता है | जातक सत्य पर अटल रहाता है | जातक
न्यायप्रिय होता है | ऐसा जातक पक्ष पात बिलकुल मान्य नही करता है | आलसी
भी हो सकता है पर अनुशासन प्रिय होता है |

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