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सूर्य महादशा वृश्चिक लग्न में
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| सूर्य महादशा वृश्चिक में |
वृश्चिक लग्न में सूर्य दसवे घर का मालिक है । कुंडली में दसवा घर हमारे कार्यक्षेत्र को दर्शाता है |
अगर सूर्य वृश्चिक लग्न के पहले ही घर में हो तो जातक सरकारी काम में उच्च पद पर हो सकता है |
जातक राजा के समान होता है | आत्मविश्वास अधिक होता है | काम काज में जल्दी तरक्की करता है |
सूर्य अगर दूसरे भाव में हो तो जातक का परिवार संपन्न और धनि होता है | जातक स्वकष्ट से बहुत अधिक धन कमा लेता है | परिवार के सदस्य उच्च पद पर होते है | ससुराल से भी अच्छे सबंद होते है ।
वृश्चिक कुंडली में सूर्य अगर तिसरे भाव में यानि के मकर राशि में शुभ नहीं है |
जातक को काम में कठिनाई और अधिक मेहनत का सामना करना पड़ता है |
सूर्य अगर चौथे भाव में हो तो जातक को कर्म से वाहन, भूमि , मकान और सभी सुख सुविधायें मिलते है |
पाचवे भाव में सूर्य जातक को बहुत कम उम्र में ही कार्य क्षेत्र में सफलता देता है | आय भी बढ़ाता है ।
वृश्चिक लग्न में सूर्य अगर छटे भाव में हो तो जातक व्यापार करेगा | सफलता भी मिलेगी पर कोर्ट कचेरी का सामना भी पड़ेगा और यश मिलेगा ।
सातवे भाव में सूर्य जातक को व्यापार में फायदा दिलाता है |
आठवे भाव में सूर्य जातक को काम मिलने में बहुत कठिनाई उत्पन्न करेगा |
जातक रिसर्च और डेवलपमेंट , दूर संचार या जमीन से मिलने वाली चीजो से प्रगति करेगा |
नवम भाव में सूर्य जातक को बहुत अधिक धार्मिक बनाता है | जातक काम से बहुत लम्बी यात्रा करेगा |
दशम भाव में सूर्य काम काज के लिए बहुत मजबूत स्थिति उत्पन्न करेगा | माता को भी लाभ होगा । सुख सुविधावो में बढ़ोतरी होगी ।
एकादश याने ग्यारवे भाव में सूर्य जातक को काम से बहुत फायदा करेगा | जातक काम में बहुत तरक्की करके धन कमायेगा | पूर्व , उत्तर और ईशान्य दिशा से लाभ होगा | करियर के लिए अच्छा ।
सूर्य अगर द्वादश याने बारहवे भाव में हो तो जातक केलिए बड़ी कठिनाई उत्पन्न करेगा |
जातक को काम काज केलिए विदेश जाने से बचना चाहिए | पिता से भी दिक्कते होंगी | कोर्ट कचेरी से हानि करेगा ।

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