kundali me rahu kaise prabhav karata ha accha ya bure

 

जाणिये राहू के बारे मे

आम तोर पर राहू को बहुत बुरा माना जाता है |  ज्यादा तर राहू बुरा प्रभाव देता हि मिलेगा कुंडली मे !

पर आपको पुरी जानकारी होना  बहुत जरुरी है | जब भी राहू वृश्चिक या धनु राशी मे होंगे तब बहुत बुरा फल देते है | राहू तीन दृष्टि (५ वी ,७ वी  और  ९ वी ) से , जहा बैठते है वहा से प्रभावित करते है |


राहू का अपना खुदका  भौतिक अस्तित्व नही है |  वह परछअई है | राहू शनि से चार गुना  अधिक क्रूर ग्रह है |

राहू एक क्रूर और देत्य ग्रह माना गाय है | राहू केंद्र या त्रिकोण (१,४,७,१०, ५ ,९ वे भाव) मे या केंद्र या त्रिकोण के भावेश के साथ हो तो राजयोग कारक भी होता है |


राहू अगर आठवे भाव मे हो तो बहुत बुरा माना जाता है | जातक अल्पायु  हो सकता है | राहू केंद्र मे हो तो तुलना मे  कम क्रूर होता है |


चंद्र कुंडली मे राहू ३,६,१०,११ भाव मे हो तो अच्छा परिणाम देगा | अगर राहू ११ वे भाव मे हो तो जातक कि  बहुत अच्छी  आय होगी |


राहू अगर आपके छटे भाव मे हो तो आपकी रोग प्रतिकारक शक्ती मे वृद्धी करेगा |


राहू + सूर्य कि युती हो तो जातक कि दृष्टि और आंखो को हानी पाहुचाता है | आत्म विस्वास कमजोर होता है | पिता से भी नही बनती | जातक सुर्य ग्रहण के समय पैदा हुवा हो सकता है |


राहू + चंद्र कि युती हो तो जातक का मन कमजोर होता  है | जातक निराशा मे जा सकता है | माता को कष्ट हो सकता है | जातक चंद्र  ग्रहण के समय पैदा हुवा हो सकता है |


राहू + मंगल कि युती हो तो इसे अंगारक योग कहते है | जातक बहुत अधिक  आक्रमक और हिंसक स्वभाव का होता है |


राहू + बुध कि युती जन्म कुंडली मे होणे से जातक को काही तरह के चर्म रोग हो सकते है | मज्जा तंतू मे भी रोग हो सकते है |


राहू + गुरु कि युती होने से चांडाळ योग होता है | जातक नास्तिक होता है | धर्म विरोधी होता है | कही  बार शादी मे परेशानी भी उत्पन्न करता है |


राहू + शुक्र कि युती जातक को अधिक कामुक स्वभाव का बना देती है | विवाह बाह्य सबंध होते है |



राहू + शनि कि युती , जातक के अनैसर्गिक शारीरिक सबंध होते है | जातक मे निराशा और हत्यारा स्वभाव  होता  है |



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